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विश्व पृथ्वी दिवस(22अप्रैल) पर विशेष

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विश्व पृथ्वी दिवस(22अप्रैल) पर विशेष

विश्व पृथ्वी दिवस पर यथार्थ जन कल्याण समिति वहिंदुस्तान युवा उत्थान समिति संयुक्त प्रयास से गोष्ठी का आयोजन किया गया इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी एनजीओ प्रकोष्ठ के प्रांत सह संयोजक रजनीकांत ने कहा कि जिसे 22अप्रैल को दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने सं 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की थी अब इसे 192 से अधिक देशों में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल,हरियाली, वन्यप्राणी हमें अमूल्य संपदा और इससे जुड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है कि इसकी रक्षा के लिए पहल करना न तो इसको लेकर कभी सामाजिक जागरूकता दिखाई गयी और ना ही विश्व पटल पर राजनीतिक स्तर पर कोई ठोस पहल की गयी। पृथ्वी पर जल,हरियाली,वन्यप्राणी,प्रदूषण और इससे जुड़े अन्य कारक के रक्षा के पहल के लिए यह आवश्यक है कि हमें हर दिन को पृथ्वी-दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए।इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि “पृथ्वी-दिवस” को लेकर देश व दुनिया में जागरूकता का अभाव है फिर भी कुछ पर्यावरण प्रेमी स्वयंसेवी संस्थाएं अपने स्तर से निरन्तर कोशिश करते रहे हैं किंतु यह किसी एक व्यक्ति,संस्था या समाज की चिन्ता तक सीमित विषय नहीं होना चाहिए हम सभी को इसमें कुछ ना कुछ अपनी आहुति देनी पड़ेगी तभी बात बनेगी। पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए कम से कम इतना तो अवश्य किया जाना चाहिए कि हम सब पॉलिथीन के उपयोग को नकारें कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसायकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसायकल होगी उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा।
मनुष्य प्रकृति का हिस्सा है मगर अपनी सुख सुविधायों को पूरा करने की चाह में उसका प्रकृति पर दखल बहुत बढ़ गया है जिसका असर सीधे तौर पर पर्यावरण व पृथ्वी पर देखने को मिल रहा है पृथ्वी सभी का ख्याल रखती है चाहे वह निर्जीव हो अथवा सजीव यही वजह है कि पृथ्वी को “माँ” का दर्जा दिया जाता है। देश और दुनिया के लोग अब जागरूकता फैलाने के लिए काम कर रहे हैं जो निश्चय ही सुखद है। विश्व पृथ्वी-दिवस का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह एक ऐसा दिन है जो हमें अपने आभामंडल से निकालकर पृथ्वी के बारे में सोचने व कुछ करने को विवश करता है घटती हरियाली, तालाब सूखता पानी,पिघलते ग्लेशियर और निरंतर बढ़ता तापमान हमारी चिन्ता का विषय बनता जा रहा है अतः पृथ्वी-दिवस के माध्यम से हम अपना एक प्रमुख कर्तव्य समझने का संदेश विश्व को दे रहे हैं।
बड़े स्तर पर कार्बन-उत्सर्जन कम किये बगैर इस सदी के अंत तक ग्लोबल-वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस की तय सीमा पर रोक पाना कठिन ही नहीं असम्भव माना जा रहा है पूरे विश्व में इसके लिए मन्थन और प्रयास जारी है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार धरती की रक्षा के लिए निवेश मात्र सरकारी स्तर तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए अपितु निजी-क्षेत्रों को भी इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। भारत में भी “पृथ्वी” को संरक्षित करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। मोदी सरकार ने ई-कचरा के लिए रीसाइक्लिंग करने का प्रयास किया है

1-बीते आठ वर्षों में भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता में 250% की वृद्धि हुई है।
2- पिछले सात वर्षों में भारत में सौर-ऊर्जा की क्षमता में 15गुना वृद्धि हुई है।
3- भारत में वनों का क्षेत्रफल पिछले कुछ वर्षों में 15हज़ार वर्ग किलोमीटर तक बढ़ा है।
4- भारत में वायु प्रदूषण रोकने की दिशा में “राष्ट्रीय स्वक्ष वायु योजना”पर काम चल रहा है।
5- भारत के मौजूदा 18 शहरों में मेट्रो-रेल का नेटवर्क बढ़ने से निजी वाहनों के प्रयोग में कमी आयी है जाहिर है इससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
6 हमें अधिक से अधिक पैदल व साइकिल का उपयोग करना चाहिए जिससे हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा रहे
7 जनसंख्या नियंत्रण करके हम पृथ्वी को बचा सकते हैं 8फ्रिज एसी का कम से कम उपयोग करें दोनों से ओजोन परत प्रभावित होती है गोष्टी में प्रमुख रूप से संस्था व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया आप सभी लोगों का दायित्व है कि नागरिकों में जन जागरूकता लाएं तभी हमारा कल सुरक्षित रहेगा रजनीकांत संतोष सिंह अवनीश कुमार श्रीवास्तव विपुल कुमार अनूप कुमार कु रिद्धि यथार्थ कुमार गरिमा पांडे धनंजय सिंह अमरीश कांत कु रोशनी आदि ने सहभागिता की

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