नवार्ण मंत्र का अर्थ है नौ वर्ण वाला मंत्र।
नवार्ण मंत्र !!
नवार्ण मंत्र का अर्थ है नौ वर्ण वाला मंत्र।
अपने नाम के अनुरूप देवी के नवार्ण मंत्र में नौ वर्ण या अक्षर होते हैं। नौ अक्षरों वाले नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है। इसलिए नवरात्रि में नवार्ण मंत्र की सिद्धि करके ग्रहों को अपने अनुकूल किया जा सकता है।
यह नौ वर्णों वाला मंत्र है
।। ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” ।।
मंत्र के प्रत्येक वर्ण की व्याख्या:– नवार्ण मंत्र का पहला अक्षर है ऐं। यह सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है।
दूसरा अक्षर है ह्रीं। यह चंद्र ग्रह को नियंत्रित करता है।
तीसरा अक्षर है क्लीं। यह मंगल को नियंत्रित करता है।
चौथा अक्षर है चा। यह बुध को नियंत्रित करता है।
पांचवा अक्षर है मुं। बृहस्पति को अनुकूल बनाता है।
छठा अक्षर है डा। यह शुक्र ग्रह को नियंत्रित करके उसकी पीड़ा को शांत करता है।
सातवां अक्षर है यै। यह शनि ग्रह को नियंत्रित करता है।
आठवां अक्षर है वि। यह राहु ग्रह को अपने आधिपत्य में रखता है।
नवां अक्षर है च्चे। यह केतु ग्रह को नियंत्रित करके उसकी पीड़ा से मुक्ति दिलाता है।
प्रत्येक नवार्ण का संबंध देवी से:–
नवार्ण मंत्र के प्रत्येक वर्ण का संबंध देवी दुर्गा की एक-एक शक्ति से है। ये शक्तियां हैं क्रमश:—-
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री।
इनकी उपासना क्रमानुसार नवरात्रि के पहले दिन से लेकर नौवें दिन तक की जाती है।
कैसे करें नवार्ण मंत्र की साधना:—
देवी का यह नवार्ण मंत्र अत्यंत चमत्कारिक और उग्र है। इसलिए इसका जाप या सिद्धि करने में अत्यंत सावधानी और सात्विकता की आवश्यकता होती है।
इसे सिद्ध करने से पहले अपने गुरु की आज्ञा और मार्गदर्शन अवश्य लें।
नवार्ण मंत्र की सिद्धि के लिए नवरात्रि के नौ दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।
काम, क्रोध, लोभ, मोह से दूर रहना पहली शर्त है।
नवार्ण मंत्र के तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। इसकी तीन देवियां महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती हैं।
दुर्गा की यह नौ शक्तियां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति में भी सहायक होती हैं।
नवार्ण मंत्र का जाप 108 दाने की माला पर कम से कम तीन बार करें, माला स्फटिक की लेना उत्तम रहता है।
मंत्र साधना प्रारंभ करने से पहले अपनी अभीष्ट कामना की पूर्ति का संकल्प लें।
प्रतिदिन एक निश्चित समय पर पूजा स्थान पर लाल कपड़े पर देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके गाय के घी का दीपक प्रज्जवलित करके पूर्वाभिमुख होकर मंत्र जपें।
नवार्ण मंत्र के लाभ:—
देवी के नवार्ण मंत्र से नवग्रहों की पीड़ा शांत होती है।
नवग्रहों का असंतुलन दूर होता है।
धन संपदा, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
नवार्ण मंत्र के जप से आत्मविश्वास, बल और साहस में वृद्धि होती है।
शत्रुओं का नाश होता है।
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