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रोगी की करवाई ईसीजी, रिपोर्ट दिखाई तो जवाब कल आना

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रोगी की करवाई ईसीजी, रिपोर्ट दिखाई तो जवाब कल आना

इससे पहले कराई गई ईसीजी रिपोर्ट को ही बताया गया गलत
 
ऐसे में किस प्रकार क्षय रोग मुक्त बन सकेेगा जिला गुरुग्राम

कमरे खुले हुए और कई-कई घंटे डॉक्टर सीट से नदारद

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। 
संबंधित डाक्टर के कहने पर रोगी ने अपनी इयीजी करवाई । ईसीजी और रिपोर्ट दिखाई तो डाक्टर ने टरका दिया अब कल आना। इससे पहले यहीं अस्पताल में ही कराई गई ईसीजी को ही गलत बताया गया। ऐसे में किस प्रकार जिला गुरुग्रामक्षय रोग मुक्त बनेगा।

हरियाणा के सीएम और सेहत मंत्री लगातार सभी सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के दावे करते आ रहे हैं । हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर महीने में औसतन चार से पांच बार गुरूग्राम पहुंच रहे हैं । लेकिन जिला मुख्यालय पर नागरिक अस्पताल के हालात को देखा जाए तों यहां पर रामराज्य कहना अधिक उचित होगा । जब कि वास्तव में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी गठबंधन का राज है ।

हालात यह बने हुए दिखाई देते हैं कि डॉक्टरों के कमरे तो खुले हुए मिलते हैं, लेकिन संबंधित डॉक्टर कई कई घंटे कमरे और अपनी कुर्सी से नदारद ही रहते हैं। ऐसे में संबंधित रोग के पीड़ित या रोगी का कैसे और किस प्रकार से सरकारी और निशुल्क उपचार हो सकेगा ? यह अपने आप में सवाल बनकर ठीक उसी प्रकार से जवाब के लिए चक्कर काट रहा है , जैसे रोगी को उपचार के लिए और मेडिसन देने के लिए डाक्टर के द्वारा चक्कर कटवाने के मामले सामने आ रहे हैं ।

बुधवार को ऐसा ही हुआ जब रोगी अपने उपचार के लिए सेक्टर 10 नागरिक अस्पताल में पहुंचा , तो संबंधित डॉक्टर ने ईसीजी करवाने के लिए कहा। इसके बाद जैसे ही ईसीजी और रिपोर्ट लेकर रोगी डॉक्टर के पास पहुंचा तो टका सा जवाब दिया कि अब कल फिर से आना । कल ही देखूंगा , यह घटना बुधवार को लगभग 12 और 12. 30 के बीच की है । इससे पहले संबंधित डॉक्टर के द्वारा सरकारी अस्पताल सेक्टर 10 में ही की गई ईसीजी को पूरी तरह से नकारते हुए कहां गया ईसीजी गलत की गई है, एक बार फिर से करवानी पड़ेगी । जानकारी के मुताबिक रोगी अपने उपचार के लिए 3 दिन पहले भी सेक्टर 10 अस्पताल गया था और संबंधित डॉक्टरों के द्वारा जो भी जांच लिखी गई थी , वह सभी जांच करवा ली गई थी । इन्हीं जांच के आधार पर आशंका जाहिर की गई थी कि क्षय रोग संभावित है। यदि ऐसा डॉक्टर को रिपोर्ट के मुताबिक महसूस भी हुआ और सभी तमाम जांच रिपोर्ट रोगी लेकर जब संबंधित डॉक्टरों के पास पहुंचा तो ऐसा क्या कारण रहा कि रोगी को ईसीजी फिर से करवाने के लिए कहा ? और जब ईसीजी करवा कर रोगी पहुंचा तो डॉक्टर ने टरका दिया कि अब कल फिर से आना ।

इसी परेशानी के बीच रोगी के साथ गए परिजन के द्वारा जब सीएमओ डॉ वीरेंद्र यादव के मोबाइल पर फोन किया गया तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ बोल रहा था। इसके बाद अपनी परेशानी और उपचार सहित मेडिसन मिलने में हो रहे विलंब के विषय में जानकारी देने के लिए एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर के पास फोन किया गया तो कोई रिस्पांस नहीं मिला । ऐसे में मजबूरी वश रोगी अपने साथ गए सहायकों को लेकर घर लौटने के लिए विवश हो गया । यदि इसी प्रकार के हालात सरकारी अस्पतालों में बने रहेंगे ? तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसा और किस प्रकार का त्वरित ,सुगम और तत्काल उपचार रोगी और पीड़ितों को उपलब्ध करवाया जा रहा होगा।

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