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दान सबसे सरल और उत्तम उपाय रश्मि राय

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प्रधान संपादक योगेश

रश्मि राय, संस्थापक- निर्देशक ॐटीम, का मानना हैं कि वेद और पुराणों में दान के महत्व का वर्णन किया गया है।दान से इंद्रिय भोगों के प्रति आसक्ति छूटती है। मन की ग्रथियां खुलती हैं जिससे मृत्युकाल में लाभ मिलता है। मृत्यु आए इससे पूर्व सारी गांठे खोलना जरूरी है, ‍जो जीवन की आपाधापी के चलते बंध गई है। दान सबसे सरल और उत्तम उपाय है।
ॐटीम गौरी राय, अंतर्राष्ट्रीय
खिलाड़ी, शीतक़ालीन अलिम्पिक खेल, ॐटीम *ने बताया कि किसी भी वस्तु का दान करते रहने से विचार और मन में खुलापन आता है। आसक्ति (मोह) कमजोर पड़ती है, जो शरीर छुटने या मुक्त होने में जरूरी भूमिका निभाती है। हर तरह के लगाव और भाव को छोड़ने की शुरुआत दान और क्षमा से ही होती है। दानशील व्यक्ति से किसी भी प्रकार का रोग या शोक भी नहीं चिपकता है। बुढ़ापे में मृत्यु सरल हो, वैराग्य हो इसका यह श्रेष्ठ उपाय है और इसे पुण्य भी माना गया है।

ॐ टीम का मानना हैं कि सनातन धर्म में भी दान का महत्व बताया गया है। माना जाता है कि दान करने से मनुष्य का इस लोक के बाद परलोक में भी कल्याण होता है। दान कर्म को पुण्य कर्म में जोड़ा जाता है।
इसी क्रम में ॐटीम ने प्रोजेक्ट “गौरी” के साथ खोली आश्रम, गुरुग्राम में महिलाओं व बच्चों को कपड़े बाटे। आश्रम की गो-शाला में गायो को हरा चारा खिलाया। ॐटीम-ने माना है कि दान में मुख्य है- 1.अन्न दान, 2.वस्त्र दान, 3.औषध दान, 4.ज्ञान दान एवं 5.अभयदान।

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