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सुखद जीवन यात्रा के लिए उत्तम मार्ग

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सुखद जीवन यात्रा के लिए उत्तम मार्ग

ईश्वर ने यह सृष्टि मनुष्य के द्वारा केवल सांसारिक भोगों को त्यागपूर्वक भोगने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए बनायी है।
इसके लिए स्वस्थ वाहन (शरीर), सुयोग्य चाल चलन वाला (आत्मा) व उत्तम मार्ग की आवश्यकता है। शरीर चाहे बलवान हो, आत्मा चाहे कितनी शुद्ध हो-यदि उत्तम मार्ग का ज्ञान नहीं तो व्यक्ति इस जीवन में अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच सकता। मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता।

मान लो आपको दिल्ली से हरिद्वार जाना है और आपने वाहन का मुँह मुरादाबाद की तरफ कर लिया तो आप कभी भी हरिद्वार नहीं पहुँच सकते। इसलिए न केवल सही रास्ता जानने की जरूरत है बल्कि उत्तम मार्ग का भी ज्ञान होना चाहिये।
सुपथ मार्ग है कल्याण का मार्ग अर्थात् यजमयी जीवन व्यतीत करना। किसी को भी शारीरिक अथवा मानसिक पीड़ा न देना, पशु, पक्षियों पर दया करना, असहाय, गरीब, कमजोर, बीमार की सहायता करना, सत्याचरण का पालन करना, निस्वार्थ समाज सेवा एवं परोपकार के कार्यों में रूचि लेना । इस प्रकार मनुष्य को अपनी ही उन्नति से सन्तुष्ट न होकर, समाज के प्रत्येक वर्ग की उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए।

सुपथ के मार्ग पर चलने के लिए, जीवन यात्रा को सुखद व सुहाना बनाने के लिए (1) व्यक्ति को दृढ़ निश्चय वाला होना चाहिए ।
(2) संयमी होना चाहिए ताकि सभी इन्द्रियाँ नियंत्रण में रहें।
(3) सहनशील होना चाहिए।
(4) आर्ष ग्रन्थों का निरन्तर स्वाध्याय और सत्संग में भाग लेना चाहिए ।
(5) यम नियम का हृदय से पालन करना चाहिये।

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