एमएलए और सीएम बने, वहां स्व.राव बिरेंदर को कब मिलेगा सम्मान
दक्षिणी हरियाणा की राजनीति के पुरोधा राव बिरेंदर पाटोदी से बने एमएलए और सीएम
54 वर्ष के बाद भी पटौदी में राव बिरेंदर के नाम ने कोई शिला न ही कोई संस्थान
हरियाणा की पहली निर्वाचित विधानसभा के पहले अध्यक्ष बने राव बिरेंदर सिंह
दक्षिणी हरियाणा से राव बिरेंदर सीएम भी बने और केंद्र की सरकार में मंत्री भी
सेना में राव बिरेंदर सिंह कैप्टन रहे और 1949-50 बैच में आईपीएस भी बने
फतह सिंह उजाला
23 सितंबर के बाद में 30 सितंबर, इसमें केवल मात्र एक सप्ताह का ही अंतर है । दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल क्षेत्र की राजनीति में इन दोनों तिथियों का अपना एक अलग ही महत्व बना हुआ है । 23 सितंबर महान स्वतंत्रता सेनानी राव तुला राम की पुण्यतिथि अथवा शहीदी दिवस कहलाता है । वही 30 सितंबर दक्षिणी हरियाणा की राजनीति के पुरोधा और बीते 4 दशक से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता स्व. राव वीरेंद्र सिंह की पुण्यतिथि के रूप में अंकित है।
सीधा और सपाट सवाल के साथ-साथ बहुत बड़ी जिज्ञासा का विषय भी है कि आखिरकार जिस निर्वाचन क्षेत्र से राव बिरेंदर सिंह एमएलए बनने के साथ-साथ दक्षिणी हरियाणा या फिर अहीरवाल क्षेत्र से पहले सीएम बने । उनके उस निर्वाचन क्षेत्र पटौदी में स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह को वास्तविक सम्मान कब और कैसे मिल सकेगा ? हैरानी की बात यह है कि 54 वर्ष बीत जाने के बाद भी स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह के निर्वाचन क्षेत्र पटोदी जहां से वह चुनाव जीतकर हरियाणा के सीएम बने उसी निर्वाचन क्षेत्र में स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह के नाम पर न कोई शिला है , न कोई संस्थान है , न किसी सड़क का नामकरण किया गया। आखिर इस प्रकार की होती आ रही उपेक्षा सहित अनदेखी की जिम्मेदारी कौन लेने का साहस दिखा सकेगा ? इसी कड़ी में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि हरियाणा की पहली निर्वाचित विधानसभा के स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह अध्यक्ष भी रह चुके हैं । एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि सेना में राव बिरेंदर सिंह कैप्टन रहे और 1949-50 बैच में आईपीएस भी बने।
अब बात करते हैं दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल क्षेत्र से पहले सीएम बनने वाले स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह की राजनीति और राजनीतिक उत्तराधिकारी की, तो इसके लिए पांच बार सांसद और चार बार एमएलए चुने जाने वाले मोदी सरकार-दो में फिर से मंत्री बनाए गए राव इंद्रजीत सिंह अपने आप को प्रस्तुत करते आ रहे हैं । 23 सितंबर को बीते अभी एक सप्ताह ही हुआ है , 23 सितंबर को राव इंद्रजीत सिंह ने अपने पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय राव तुला राम की पुण्यतिथि अथवा शहीदी दिवस के मौके पर अपना राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन जोरदार तरीके से किया। फिर आखिर केवल मात्र 7 दिन बाद ही ऐसा क्या और कौन सा कारण रहा कि दक्षिणी हरियाणा की राजनीति के पुरोधा और इसी क्षेत्र के पहले सीएम स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह और उनके द्वारा दक्षिणी हरियाणा के हित में किए गए कार्यों को जनता के सामने लाने के लिए अथवा बताने के लिए एक छोटी सी जनसभा किया जाना भी मुनासिब नहीं समझा गया ? यह सवाल केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से अधिक उन तमाम समर्थकों और कार्यकर्ताओं से भी जवाब मांग रहा है जो रामपुरा हाउस, शहीद राव तुलाराम और स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह के साथ-साथ केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का अपने आप को सबसे बड़ा समर्थक और शुभचिंतक होने का दावा बीते कई दशकों से ठोकते चले आ रहे हैं ।
हरियाणा की राजनीति में नेताओं की बात की जाए तो सीएम बनने वाले पंडित भगवत दयाल शर्मा के नाम भी कोई ना कोई संस्थान अवश्य है । हरियाणा के ही सीएम और केंद्र में मंत्री बनने वाले चौधरी बंसीलाल के नाम पर भी हरियाणा में कोई ना कोई संस्थान है , ऐसे उदाहरण और भी नेताओं के साथ में जुड़े हुए हैं । संभवत अपवाद स्वरूप एक ही नाम स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह का है जिनका अपने ही निर्वाचन क्षेत्र पटौदी विधानसभा क्षेत्र के अलावा दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल सहित पूरे हरियाणा में कथित रूप से उनके नाम पर शायद ही कोई संस्थान हो, कोई खेल स्टेडियम हो, सरकारी शिक्षण संस्थान हो कोई पार्क हो या कोई चौराहा अथवा सड़क हो । पटौदी विधानसभा क्षेत्र जहां से स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह एमएलए बने और फिर सीएम भी बने, उसी विधानसभा क्षेत्र में जिसे की राव इंद्रजीत सिंह अपना सबसे मजबूत राजनीतिक गढ़ कहते रहे हैं वहां पर किसी भी स्थान पर हरियाणा के सीएम रहे स्व. राव वीरेंद्र सिंह की प्रतिमा भी नहीं है । जबकि तमाम समर्थक और चाहने वाले जब भी कोई आयोजन होता है गर्व के साथ दोनों हाथों को आसमान में उठाकर राजा राव वीरेंद्र सिंह की जय कारे के नारे लगाने से भी नहीं चूकते हैं।
राव इंद्रजीत सिंह इस बात को स्वयं स्वीकार कर चुके हैं की पटौदी क्षेत्र और यहां की जनता का उनके परिवार पर बहुत बड़ा एहसान है । इसकी कम शब्दों में अधिक व्याख्या इस प्रकार है की स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह जो कि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता हैं , वह पटौदी से ही चुनाव जीतकर एमएलए बने और उसके बाद में दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल क्षेत्र से पहले और अंतिम सीएम के तौर पर उनका नाम दर्ज है । स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह हरियाणा के सीएम ही नहीं बने, 1980 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के द्वारा स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह को केंद्र में कृषि , सिंचाई , ग्रामीण विकास और खाद्य एवं आपूर्ति जैसे मंत्रालयों का केंद्र सरकार में मंत्री भी बनाया गया । अक्सर सार्वजनिक मंच से राव इंद्रजीत सिंह यह बात भी कहते रहे हैं कि राजनीति में पदार्पण उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह के मार्गदर्शन और छत्रछाया में ही किया । राजनीति में जो कुछ भी सीखा, पिता राव बिरेंदर से ही सीखा और आज जिस मुकाम पर वह हैं वह मुकाम भी स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह की राजनीतिक शिक्षा और दीक्षा की बदौलत प्राप्त है ।
सीधा और सरल सवाल के साथ-साथ जिज्ञासा यही है कि पटौदी विधानसभा क्षेत्र जहां से स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह 1967 में चुनाव जीतकर 24 मार्च 1967 से लेकर 2 नवंबर 1967 तक 224 दिनों के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री बने । उसी विधानसभा क्षेत्र में राव बिरेंदर सिंह के नामकरण पर ऐसी कोई भी निशानी क्यों क्यों नहीं है ? जो निशानी सदियों तक स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह के नाम को हमेशा याद दिलाती रहे । अपवाद स्वरूप हेलीमंडी नगर पालिका में अमर शहीद राव तुला राम के नाम करण वाला बैडमिंटन कोर्ट इंडोर स्टेडियम का केंद्रमेंमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के हाथों 18 फरवरी 2018 को शिलान्यास करवाया गया । जोकि करीब एक करोड रुपए की लागत से बनना प्रस्तावित है , उस स्थान पर भी आज तक एक ईंट भी नहीं लग सकती है । अब देखना यही है कि स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह को अपने निर्वाचन क्षेत्र पटोदी हलके में कब तक और किस प्रकार से किसके द्वारा उनको वास्तविक सम्मान दिलाने की पहल की जा सकेगी।
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