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अच्छाई अपनाएँ ताकि अच्छाई फैले !!

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अच्छाई अपनाएँ ताकि अच्छाई फैले !!

👉 “आत्मशोधन” में निरत होना “संसार-शोधन” में लगने का एक प्रकार है । एक व्यक्ति अपनी अच्छाई से केवल अपने आप ही लाभान्वित नहीं होता बल्कि अन्य लोगों की सुख शांति बढ़ाने में भी सहायक होता है । जिस प्रकार एक बुरा आदमी अपनी बुराई का प्रभाव दूसरों तक पहुँचाता है और इस प्रकार उनके दु:खों में वृद्धि करता है, उसी प्रकार एक अच्छा आदमी भी अपनी अच्छाई का प्रभाव दूसरों पर डालता है और वे उसके व्यवहार से लाभान्वित ही नहीं, प्रेरित भी होते हैं । उनके शोक संतापों की संख्या घटती और सुख-शांति की वृद्धि होती है । इसलिए “विश्व-कल्याण” का सबसे सरल और सही तरीका “आत्मकल्याण” ही मानना चाहिए ।
👉 “आत्मसुधार” अथवा “आत्मकल्याण” की भावना को किसी प्रकार भी स्वार्थ मानना भारी भूल होगी। अपने चरित्र को ऊपर उठाना अथवा आत्मा की उन्नति करना “स्वार्थ” नहीं माना जा सकता, वह “विशुद्ध परमार्थ” है । परमार्थ के कार्यों से न केवल अपना ही मंगल होता है बल्कि सारे संसार, सारे मनुष्यों और सारे जीव, प्राणिमात्र को भी लाभ मिलता है ।
👉 संसार का सुधार करने के लिए हमें जीवन में “आध्यात्मिक दृष्टिकोण” को विकसित और “आध्यात्मिक गतिविधि” को अपनाकर चलना चाहिए । प्रत्येक अच्छी- बुरी परिस्थिति का उत्तरदायी हम स्वयं अपने को मानें। बाह्य प्रवृत्तियों का कारण अपने अंदर खोजें और उनका निवारण करें । अपने “गुण-कर्म-स्वभाव” को उन्नत एवं उदात्त बनाएँ,तब हमें संसार से कोई शिकायत न रहेगी और इस प्रकार सारा संसार ही सुधार की ओर चल पड़ेगा।

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