रोगों से मुक्ति का अमृत महोत्सव
रोगों से मुक्ति का अमृत महोत्सव
जहां 2020 और 2021 एक वैश्विक महामारी के साये में अनिश्चितता एवं भय में गुज़रे वहीं चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों के कर्तव्यनिष्ठ और ध्येयनिष्ठ कार्य ने अन्धकार में आशा की एक किरण उत्पन्न की और वैक्सीन ने करोड़ों लोगों को संक्रमित होने से बचाया। कोविड ने विश्व में लगभग 25 करोड़ लोगों को संक्रमित किया जबकि जिस रोग की चर्चा आज हम वल्र्ड एड्स डे के अवसर पर कर रहे हैं उससे संक्रमित रोगियों की संख्या लगभग 38 करोड़ है जिसमें से लगभग दो तिहाई अफ्रीकी देशों में हैं। यानि एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है यानि यह भी एक महामारी है। एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य कारण हैं-असुरक्षित यौन सम्बन्ध, रक्त का आदान-प्रदान तथा माँ से शिशु में संक्रमण द्वारा। माना यह जाता है कि भारत में 80-85 प्रतिशत संक्रमण असुक्षित विषमलैंगिक यौन सम्बन्धों से फैल रहा है। माना जाता है कि सबसे पहले इस रोग के विषाणु अफ्रीका के खास प्रजाति के बन्दर में पाया गया और यहाँ से पूरी दुनिया में फैला। 1981 में एड्स फैलाने वाले विषाणु की खोज से अब तक 30 करोड़ लोग जान गँवा चुके हैं।
भारत में एड्स से प्रभावित लोगों की बढ़ती संख्या के संभावित कारणों में- आम जनता को रोग की सही जानकारी न होना, इस रोग तथा यौन रोगों के विषयों को कलंकित समझा जाना, शिक्षा में यौन शिक्षण व जागरूकता बढ़ाने वाले पाठ्यक्रम का अभाव तथा कई धार्मिक संगठनों का गर्भ-निरोधक के प्रयोग को अनुचित ठहराना इत्यादि हैं। रोग से बचाव ही इस रोग का सबसे बड़ा इलाज है। एचआईवी संक्रमण से बचने के उपायों में – अपने जीवनसाथी के प्रति वफादारी यानि एक से अधिक व्यक्ति से यौन सम्बन्ध न रखना, यौन सम्बन्धों के समय कंडोम का सदैव प्रयोग करना आदि महत्वपूर्ण हैं । यदि आप रोग से पीड़ित हैं तो अपने जीवन साथी से इस बात का खुलासा अवश्य करना चाहिए ताकि साथी संक्रमित होने से बच सके और आपकी संतान भी प्रभावित होने से बच सके। यदि आप एचआईवी सक्रमित हैं तो रक्तदान कभी न करें; संदेह होने पर तुरन्त अपना एच.आई.वी. परीक्षण करवा लें। विद्यालयों में व्यापक रूप से यौन शिक्षा देने पर इसकी व्यापकता में कमी आ सकती है। युवा लोगों का एक बड़ा समूह इस रोग के बारे में जानकारी होने के बावजूद भी इस प्रथा के संलग्न है कि वह खुद अपने को एच.आई.वी. संक्रमण के जोखिम को कम आंकता है। जहां हम इसके फैलने के कारणों को देखते हैं वहीं वे कारण भी जानने चाहिए जिन कारणों से एड्स नहीं फैलता जैसे एड्स ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाने से, या पीड़ित व्यक्ति के साथ रहने या खाना खाने से या एक ही बर्तन या रसोई में स्वस्थ ओर संक्रमित या ग्रसित व्यक्ति के खाना बनाने से। स्वतन्त्रता के 75वें अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हम यह प्रण लें कि हमें एड्स ग्रसित लोगों के प्रति व्यवहार को परिवर्तित करना होगा क्योंकि इस का सबसे बड़ा सामाजिक दुष्प्रभाव है कि समाज को भी संदेह और भय का रोग लग जाता है।
यौन विषयों पर बात करना हमारे समाज में वर्जना का विषय रहा है। निस्संदेह कबूतर की तरह आंख बन्द करना या शतुरमुर्ग की तरह इस संवेदनशील, मननशील और चिन्तनीय विषय पर रेत में सिर गाड़े रहना कोई समाधान नहीं है। इस भयावह स्थिति से निपटने का एक महत्वपूर्ण पक्ष सामाजिक बदलाव लाना भी है। इसको लेकर 2017 में कानून बनाया गया जो भारत ही नहीं विश्व के लिए भी एड्स के खिलाफ छिड़ी जंग में एक महत्वपूर्ण सामरिक कदम सिद्ध होगा। समाज में नशीले पदार्थों का बढ़ता उपयोग भी इस रोग के प्रसार का एक मुख्य कारण बनता जा रहा है। विश्व एड्स दिवस सर्वप्रथम 1987 में एड्स जागरुकता अभियान से जुड़े जेम्स डब्ल्यू बुन तथा थॉमस नेटर ने मनाया था । इसके 1988 से W.H.O ने प्रतिवर्ष एक दिसम्बर को एड्स दिवस मनाना प्ररंभ किया । प्रत्येक वर्ष एड्स दिवस के लिए एक थीम का भी चयन किया जाता है जो इस बीमारी से लड़ने के संकल्प की दिशा में एक और कदम होता है । इस वर्ष 2021 में विश्व एड्स दिवस की थीम “असमानताओं का अंत करें, एड्स का अंत करें” रखी गई है । आइए हम सब भी इस महत्वपूर्ण अवसर पर संकल्प लें कि इस खतरनाक एचआईवी वायरस के बारे स्वयं जागरुक होकर दूसरों को भी जागरुक करेंगे तथा समाज में किसी भी प्रकार की असमानता को भी समाप्त करने के लिए अपना योगदान देंगे । स्वतन्त्रता के इस 75वें अमृत महोत्सव का वास्तविक आनन्द तभी होगा जब हम इन महामारियों से मुक्त होने का भी प्रण लेंगे और सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया का भाव स्थापित करेंगे।
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