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कृषि बिल किसानों के लिए किया था और देश के लिए वापस लिया: वंदना

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कृषि बिल किसानों के लिए किया था और देश के लिए वापस लिया: वंदना

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वंदना पोपली बोली पीएम ने बड़ा दिल किया

मुद्दा विहीन विपक्ष की राजनीति को खत्म करने का काम किया

भाजपा की सरकार ने लगातार किसानों के हित में काम किए

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता वंदना पोपली ने पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पीएम ने बड़ा दिल करते हुए गुरुपूरब के दिन कृषि कानूनों को वापस लिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने सदैव राष्ट्र को तरज़ीह दी है। अपने संबोधन में जिस प्रकार मोदी जी ने कहा किसानों के लिए किया था और देश के लिए वापस ले रहा हूं , इन्हीं शब्दों में प्रधानमंत्री मोदी जी की मूल भावना है

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लगातार किसानों के हित में काम किए हैं , चाहे किसानों के सीधा खाते में एक लाख बासठ हजार करोड पहुंचाने का काम हो या एमएसपी को बढ़ाने का काम हो, किसानों के हित में मोदी सरकार सदैव खड़ी रही। कृषि बजट 5 गुना बढ़ाया गया, प्रतिवर्ष खेती पर डेढ़ लाख करोड़ का खर्च किया जा रहा है । फसलों की रिकॉर्ड तोड़ खरीदारी मोदी सरकार के समय में ही हो रही है। 1 हजार से ज्यादा मंडियों को ई नेम से जोड़ा गया, पशुपालक, मछली पालन को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलना शुरू हो गया है। माइक्रो इरिगेशन के फंड आवंटन को दुगना करके 10 हजार करोड़ किया गया है। फसल बीमा योजना के द्वारा किसान जोखिम फ्री खेती की तरफ बढ़ चुका है। पूरे देश में सोयल हेल्थ कार्ड बनवाए गए हैं। इसके अलावा ढांचागत विकास में भी कोई कमी नहीं छोड़ी गई है।

फसलों के उत्पादन के साथ साथ  उत्पादक या किसान की ताकत बढ़ाने के लिए काम करने वाली मोदी सरकार कृषि कानूनों को लाई उसके पीछे एक ही मकसद था कि देश के छोटे किसानों को और ताकत मिले,उनको अपनी उपज की सही कीमत मिले तथा उपज को बेचने के विकल्प मिले। मोदी जी ने स्वीकार किया है कि हम नेक नियत से इन कानूनों को लाए लेकिन कुछ किसानों को हम इन कानूनों के फायदे समझा नहीं पाए। वो कृषि कानून जो सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त किए हुए थे तथा आंदोलनकारियों के साथ बातचीत के दौरान सरकार ने प्रस्तावित किया था कि इन कानूनों को डेढ़ साल के लिए सस्पेंड कर देते हैं। लेकिन बार-बार दबाव बनाया गया कि इन कानूनों को वापस लिया जाए । विपक्षी पार्टियों के पास और कोई मुद्दा नहीं है , इसलिए उन्होंने भी इन कृषि कानूनों को मुद्दा बनाया । लेकिन पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों की राजनीति को खत्म कर दिया है। मुद्दा विहीन विपक्ष मोदी जी के इस कदम से हतप्रभ है।

राष्ट्रहित के लिए कृषि कानून वापिस
वंदना पोपली ने कहा कि ये देश के पीएम की इच्छा शक्ति थी किसानों के लिए,उन को सशक्त करने के लिए । लेकिन राष्ट्रहित के लिए उन्होंने इन कानूनों को वापस लेना स्वीकार किया। बहुत से लोग कहते हैं कि आने वाले चुनावों को देखकर यह कार्य किया गया । लेकिन मेरा मानना यह है पिछले 1 साल में बहुत से चुनाव हुए, जिसमें से अधिकतर पर भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई। हरियाणा में भी इनेलो की परंपरागत सीट ऐलनाबाद पर भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा और वह कांग्रेस पार्टी जो अपने आप को किसानों के समर्थन में दिखाती रही, उस पार्टी की जमानत जप्त हो गई। किसानों को भी यह समझना होगा कि अगर पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियां अच्छी होती तो किसानों के हालत ऐसे ना होते। जिन कृषि कानूनों को मोदी लेकर आए थे । उन कृषि सुधारों के लिए समय-समय पर किसान, किसान संगठन, अर्थशास्त्री और किसान विशेषज्ञ लगातार मांग करते रहे। भारतीय जनता पार्टी की सरकार  आने वाले समय में भी किसानों के लिए लाभकारी नीतियां बनती रहेंगी।

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