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यज्ञ वह कल्पबृक्ष, मनोकामना की पूर्ति संभव: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

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यज्ञ वह कल्पबृक्ष, मनोकामना की पूर्ति संभव: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

यज्ञ सनातन है , यज्ञ के माध्यम से पर्यावरण की शुद्धि होती है

चीन सहित अन्य पड़ोसी देश हमारी सहिष्णुता को कमजोरी न माने

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
यज्ञ वह कल्पबृक्ष है, जिससे मनुष्य अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकता है । यज्ञ का प्रत्यक्ष प्रभाव यह है कि इसके माध्यम से विखण्डित एवं विभाजित समाज को सहजरूप से एक सूत्र में पिरोया जा सकता है, जोड़ा जा सकता है । जब समाज एकजुट होता है, तो राष्ट्र भी मजबूत बनता है। ऐसे में दुनिया की कोई भी ताकत न तो सनातन संस्कृति, परम्परा, आस्था को कमजोर कर सकती है, और न ही भारत की तरफ अपनी कुदृष्टि डाल सकती है । यज्ञ सनातन है , यज्ञ के माध्यम से पर्यावरण की शुद्धि होती है, और शुद्ध पर्यावरण से ही शुद्ध एवं पवित्र मानसिकता का विकास सम्भव है । यह आर्शिवचन काशी सुमेरु पीठाधीश्वर पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज के द्वारा अपने सम्भल जनपदान्तर्गत ऐचोड़ा कम्बोह प्रवास के दौरान दिये गए।

काशी सुमेरु पीठाधीश्वर पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती के निजि सचिव ब्रह्मचारी बृजभूषणानन्द के द्वारा जानकारी सांझा करते बताया गया कि शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द जी ऐचोड़ा कम्बोह में 100 कुंडीय श्री संकटमोचक महायज्ञ में विषेश रूप में आमंत्रण पर पधारे और जन कल्याण के लिए श्री संकटमोचक महायज्ञ की उपयोगिता के विषय में जानकारी देते हुए साधु, संतो और श्रद्धालूओं का आहवान किया कि जीवन में महायज्ञ-यज्ञ का आयोजन करते हुए आहूतियां भी अर्पित करते रहना चाहिये।
इसी मौके पर काशी सुमेरु पीठाधीश्वर पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने महायज्ञ के धर्म मंच से उपस्थित सनातन धर्मावलम्बियों को अपना आशीर्वचन एवम् मार्गदर्शन भी प्रदान किया ।

इस अवसर पर पूज्य शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि कि आज चीन सहित अन्य हमारे पड़ोसी देशों ने हमारी सहिष्णुता को ही हमारी कमजोरी मान लिया है । चीन हमारी सीमा पर हमारी जमीन पर 600 गाँव बसाने का षड़यंत्र कर रहा है । लेकिन चीन को यह ध्यान जरूर रखना चाहिए कि आज का भारत 1962 का भारत नहीं, अपितु यह 2021 का एक नया भारत है। जो न्युक्लियर ताकत से भी सम्पन्न है।  चीन अपने हित में अपने दुश्साहसश् से बाज़् आये, अन्यथा चीन अपनी बर्बादी के लिए स्वयम् जिम्मेदार होगा। आज भारत का नेतृत्व ऐसे व्यक्तित्व और दृढसंकल्पित नेता के द्वारा किया जा रहा है, जोकि हमारी प्राचीन संस्कृति, संस्कार, अध्यात्म, को पुर्नजागृत करते हुए आधुनिक तकनीक को भी समर्थन कर रहा है। इस प्रकार का नेतृत्व मिलना प्रत्येक भारतीय के बहुत ही गर्व सहित सौभाग्य की बात है।

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