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लखीमपुर खीरी  में शहीद किसानों एवं पत्रकार की याद में कैंडल मार्च

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लखीमपुर खीरी  में शहीद किसानों एवं पत्रकार की याद में कैंडल मार्च

लखीमपुर खीरी हत्याकांड में शहीद हुए किसानों एवं पत्रकार को दी श्रद्धांजलि

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए

अजय मिश्रा टेनी के गृह राज्यमंत्री रहते हुए नहीं हो सकती निष्पक्ष जाँच

अजय मिश्रा टेनी को द्वेष फैलाने,हत्या और षडयंत्र में गिरफ्तार किया जाए

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
लखीमपुर खीरी हत्याकांड में शहीद हुए किसानों एवं पत्रकार को किसान धरनास्थल पर श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि सभा के बाद किसान धरनास्थल से राजीव चौक तक शहीद किसानों और शहीद पत्रकार की याद में कैंडल मार्च निकाला गया।किसानों ने अपने हाथों में तिरंगे झंडे तथा जलती हुई मोमबत्तियाँ ली हुई थी।कैंडल मार्च के दौरान शहीद किसान अमर रहें तथा शहीद पत्रकार अमर रहे के नारे गूंजते रहे।

संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम के अध्यक्ष चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए।अजय मिश्र टेनी को द्वेष फैलाने,हत्या और षडयंत्र के आरोप में गिरफ्तार किया जाए।क़ानून व्यवस्था गृह  मंत्रालय के अधीन है।अजय मिश्रा टेनी के गृह राज्यमंत्री रहते हुए निष्पक्ष जाँच नहीं हो सकती इसलिए उसको तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए। लखीमपुर खीरी हत्याकांड भारत के किसान आंदोलन के इतिहास में एक दर्दनाक अध्याय की तरह याद किया जाएगा। अब तक सार्वजनिक हुए तमाम वीडियो के माध्यम से इस घटना का पूरा सच देश के सामने आ चुका है। यह स्पष्ट है कि यह घटना अचानक नहीं हुई। अपराधी छवि का खुद बखान करने वाले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने पहले एक समुदाय विशेष के किसानों को धमकी दी, फिर विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को उकसाने की कोशिश की, फिर उनके बेटे और उसके गुंडे गुर्गों ने प्रदर्शन से वापस जा रहे किसानों को पीछे से गाड़ी चलाकर रौंद दिया जिसमें 4 किसानों और एक पत्रकार की मौत हुई। इस नृशंस हत्याकांड में संलिप्त लोगों के चेहरे भी अब देश के सामने बेनकाब होने लगे हैं।

इस घटना ने केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों के चरित्र को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है। इतने बड़े हत्याकांड और उसमें भाजपा नेताओं के संलिप्त होने के स्पष्ट प्रमाण होने के बावजूद भी भाजपा सरकार अपने नेताओं और गुंडों के खिलाफ कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है।यह स्पष्ट है कि इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन के सामने अपने पांव उखड़ते देखकर भाजपा अब हिंसा पर उतारु हो गई है।संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि हम इस हिंसा का जवाब शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक जन-आंदोलन के जरिए देंगे।इस हत्याकांड और सरकार द्वारा संतोषजनक कार्यवाही ना किए जाने के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा।

कैंडल मार्च में शामिल होने वालों में अनिल पंवार,फूल कुमार,पंजाब सिंह,हरि सिंह चौहान,मनीष मक्कड़, तनवीर अहमद,नवनीत रोज़खेडा,मनोज भारद्वाज,विनोद कुमार भारद्वाज एडवोकेट,मुकेश डागर,तारीफ़ सिंह गुलिया,अभय पूनिया,योगेश्वर दहिया,मनोज सहरावत,मेजर एस एल प्रजापति,वज़ीर सिंह,जगमाल मलिक,रिटायर्ड कमांडर सत्यवीर सिंह,प्रकाश महलावत,ईश्वर सिंह,अमित पंवार,परमिंदर कटारिया,अनिल ढिल्लों,योगेन्द्र कुमार,दलबीर सिंह,सतीश धानिया,धीरेन्द्र गुप्ता,कुलदीप कुमार गुप्ता,परवीन जांगड़ा, सुरेन्द्र जांगड़ा, महेन्द्र कुमार यादव,सूबे सिंह यादव एडवोकेट,आकाशदीप,रणजेय सिंह,नरेन्द्र कुमार, योगेश कुमार तथा अन्य व्यक्ति शामिल थे।

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