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अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण कमेटी की बैठक, दिये निर्देश

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अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण कमेटी की बैठक, दिये निर्देश

पीड़ित व्यक्तियों की पहचान को हर 15 दिन में आपसी तालमेल करें

सरकार की योजना का लाभ जल्द पहुंचाना अधिकारियों का दायित्व

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम ।
 गुरूग्राम के एडीसी प्रशांत पंवार ने जिला कल्याण  अधिकारी तथा पुलिस के नोडल अधिकारी को निर्देश दिए कि वे अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पीड़ित व्यक्तियों की पहचान करने के लिए हर 15 दिन में आपस में तालमेल करें । ताकि पीड़ित व्यक्तियों को सरकार की योजनाओं के तहत आर्थित मदद जल्द से जल्द दिलवाई जा सके।

एडीसी पंवार बुधवार को गुरूग्राम के विकास सदन के सभागार में जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना व नीतियांे के अनुसार पीड़ित व्यक्तियों को जल्द से जल्द आर्थिक मदद मिले, सभी संबंधित अधिकारीगण इस दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि पात्र व्यक्तियों को सरकार की योजना का लाभ जल्द पहुंचाना अधिकारियों का दायित्व है और सभी अधिकारीगण अपने इस दायित्व का निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ करें। अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पीड़ित व्यक्तियों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलवाने के लिए गुरूग्राम पुलिस की तरफ से एसीपी वीर सिंह को नोडल अधिकारी बनाया हुआ है। जिला कल्याण अधिकारी वंदना शर्मा तथा पुलिस के नोडल अधिकारी वीर सिंह पाक्षिक आधार पर तालमेल करके पीड़ित व्यक्तियों को आर्थिक लाभ दिलवाना सुनिश्चित करेंगे।

बैठक में अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 13 मामलों पर चर्चा की गई और बताया गया कि इन सभी में सरकार की योजना अनुसार पीड़ित व्यक्तियों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। बताया गया कि इस अधिनियम के अंतर्गत बलात्कार पीड़ित महिला को 5 लाख रूपए तक की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान है। एफआईआर दर्ज होने व चालान पेश होते ही इस कुल राशि का 75 प्रतिशत भाग अर्थात् 3 लाख 75 हजार रूपए की राशि पीड़ित पक्ष को जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय के माध्यम से तत्काल दी जाती है। यही नहीं, अनुसूचित जाति के व्यक्ति को जाति सूचक शब्द कहकर अपमानित करने पर भी एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता का प्रावधान है। इसमें से भी 10 प्रतिशत राशि एफआईआर दर्ज होने पर दी जाती है और चालान पेश होने पर पहले दी गई राशि सहित 75 प्रतिशत अर्थात् 75 हजार रूपए तक आर्थिक सहायता  प्रदान की जाती है।

बैठक में महिला थाना मानेसर का एक मामला भी रखा गया जिसमंे व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति से संबंधित लड़की को दो साल से परेशान किया जा रहा था। इस मामले में बताया गया कि पीड़ित लड़की को दो लाख रूपए तक आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है जिसमें से 25 प्रतिशत अर्थात् 50 हजार रूपए की आर्थिक सहायता कोर्ट में चालान पेश होने पर दी जाती है। ऐसे मामलों में आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए पीड़ित पक्ष को आवश्यक कागजात जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय में जमा करवाने होते हैं। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त के अलावा, अग्रणी जिला प्रबंधक प्रहलाद राय गोदारा, एसीपी वीर सिंह, एसीपी करण गोयल, एसीपी पूनम दलाल सहित समिति के मनोनित सदस्य भी उपस्थित थे।

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